हाय दोस्तों! कल्पना करें कि आप एक ऐसी कंपनी में काम कर रहे हैं जो आपको “परिवार” कहती है, लेकिन अचानक आपको नौकरी से निकाल देती है क्योंकि एक नई तकनीक आपका काम सस्ते में कर सकती है। सुनने में कड़वा लगता है, ना? यही हो रहा है अमेजन में, और इस बात ने हर किसी को चौंका दिया है।
खास तौर पर दिग्गज निवेशक गुरमीत चड्ढा ने इस पर तीखी नाराजगी जताई है। अमेजन ने हाल ही में 2025 में 10,000 और नौकरियां काटने का ऐलान किया, जो नवंबर में हुई 18,000 छंटनी के बाद एक और बड़ा झटका है। चड्ढा, जो कम्प्लीट सर्कल के मुख्य निवेश अधिकारी हैं, इसे “नाटक” बता रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं कि अगर AI लोगों को दुखी कर रही है, तो क्या यह सच में तरक्की है? चलिए, इस दिलचस्प कहानी को आसान और दोस्ताना अंदाज में समझते हैं!
10,000 और नौकरियां गईं
एक पल के लिए सोचिए: आप अमेजन के कर्मचारी हैं, गर्व से अपनी नौकरी निभा रहे हैं और खुद को “अमेजन परिवार” का हिस्सा मानते हैं। फिर अचानक खबर आती है कि कंपनी 10,000 और नौकरियां खत्म कर रही है। यह पहली बार नहीं है—पिछले साल नवंबर में अमेजन ने 18,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया था, और अब फिर से 10,000 का नंबर लगा है। यानी 6 महीने से भी कम समय में कुल 28,000 नौकरियां चली गईं! कई लोगों के लिए यह एक धोखे जैसा लगता है, खासकर जब कंपनी के बड़े अधिकारी “पीपल एक्सपीरियंस हेड” और “चीफ पीपल ऑफिसर” जैसे शानदार टाइटल्स का इस्तेमाल करते हैं और कर्मचारियों को “परिवार” कहते हैं।
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गुरमीत चड्ढा ने इस पर अपनी भड़ास X पर निकाली। उन्होंने लिखा, “अमेजन ने नवंबर में 18,000 लोगों को निकाला और अब 10,000 और छंटनी कर रहा है। वे अपने HR हेड्स को ‘पीपल एक्सपीरियंस हेड’, ‘चीफ पीपल ऑफिसर’ जैसे शानदार नाम देते हैं… कर्मचारियों को परिवार कहते हैं। सब ड्रामा!!” उनका कहना साफ है—यह सब दिखावा है। और सच कहें तो, उनकी नाराजगी समझ में आती है। जब कोई कंपनी अरबों रुपये कमाती है, लेकिन फिर भी नौकरियां काटती है, तो सवाल तो बनता है!
AI: हीरो या विलेन?
अब सवाल यह है कि आखिर इतनी बड़ी छंटनी के पीछे वजह क्या है? जवाब है दो शब्दों में: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)। अमेजन के सीईओ एंडी जेसी कंपनी को “फ्लैट” करने की मुहिम पर हैं, यानी कम मैनेजर और ज्यादा तकनीक का इस्तेमाल। उनका मकसद है कि अमेजन को तेज, चुस्त और कारगर बनाया जाए—जैसे कोई स्टार्टअप हो। लेकिन इसमें एक पेंच है: जब AI काम को आसान बनाने के लिए आती है, तो कई बार यह कर्मचारियों की नौकरी छीन लेती है।
चड्ढा इस “इनोवेशन” के बहाने को मानने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा, “AI या कोई भी बदलाव जो अपने लोगों को दुख दे, बेकार है।” उनका तर्क वाजिब है—हां, AI गोदामों को मैनेज कर सकती है, कस्टमर सर्विस के सवालों का जवाब दे सकती है, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि लोग बेरोजगार हो जाएं? हर रोबोट या सॉफ्टवेयर जो किसी का काम ले लेता है, उसके पीछे एक इंसान की कहानी छुपी होती है। चड्ढा का मानना है कि तकनीक का मकसद लोगों को ऊपर उठाना होना चाहिए, न कि उन्हें नीचे धकेलना। और सच कहें, वो अकेले नहीं हैं जो ऐसा सोचते हैं—कई लोग अब AI को लेकर दोहरी सोच रखने लगे हैं।
गुरु नानक की सीख: लोगों का भला पहले

चड्ढा ने सिर्फ छंटनी की आलोचना नहीं की, बल्कि एक गहरी बात भी कही। उन्होंने गुरु नानक देव जी के दर्शन “सर्बत दा भला” (सबका भला) का जिक्र करते हुए कहा कि तकनीक का असली मकसद लोगों की भलाई होना चाहिए। उन्होंने लिखा, “मुझे पुराने ख्यालों का कहें, लेकिन मेरे लिए लोग सबसे ऊपर हैं। कोई भी इनोवेशन, जैसा गुरु नानक देव जी ने कहा, लोगों के कल्याण को केंद्र में रखे।”
यह बात दिल को छूती है। आज के दौर में, जहां हर कंपनी मुनाफे की दौड़ में लगी है, चड्ढा का यह कहना कि “लोगों की खुशहाली पहले” एक ताजा हवा की तरह लगता है। उनका मानना है कि अगर AI या कोई नई तकनीक लोगों को दुख दे रही है, तो उसका कोई मतलब नहीं। यह सोच न सिर्फ इंसानियत की बात करती है, बल्कि हमें यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम सच में सही दिशा में जा रहे हैं?
अमेजन का प्लान: मैनेजर कम, AI ज्यादा
अब थोड़ा अमेजन के नजरिए को भी समझते हैं। सीईओ एंडी जेसी का कहना है कि कंपनी में बहुत सारे “मिडिल मैनेजर” हो गए हैं, जिससे फैसले लेने की रफ्तार धीमी पड़ गई है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “जब आप ढेर सारे लोगों को जोड़ते हैं, तो मैनेजरों की तादाद भी बढ़ जाती है।” उनका मानना है कि ये मैनेजर कई बार सिर्फ मीटिंग्स में वक्त बर्बाद करते हैं—प्री-मीटिंग की तैयारी, फिर उसकी प्री-मीटिंग, और आखिर में फैसले की मीटिंग—लेकिन फैसले लेने की जिम्मेदारी कम ही उठाते हैं।
जेसी का लक्ष्य है कि कंपनी को हल्का बनाया जाए, ताकि काम तेजी से हो। इसके लिए वो AI और ऑटोमेशन का सहारा ले रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह रणनीति वाकई सही है? एक तरफ कंपनी को फायदा हो रहा है, लेकिन दूसरी तरफ हजारों लोग अपनी आजीविका खो रहे हैं। क्या यह कीमत चुकाने लायक है?
कर्मचारियों का दर्द: “परिवार” से बेदखली तक
अमेजन जैसी बड़ी कंपनियां अक्सर अपने कर्मचारियों को “परिवार” कहती हैं। लेकिन जब छंटनी की बारी आती है, तो यह परिवार का रिश्ता कहां चला जाता है? 10,000 लोगों को निकालने का फैसला कोई छोटी बात नहीं है। ये वो लोग हैं जिन्होंने दिन-रात मेहनत करके अमेजन को दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बनाया। फिर भी, जब AI और मुनाफे की बात आई, तो उन्हें दरकिनार कर दिया गया।

चड्ढा ने इसे “ड्रामा” कहा, और शायद वो सही हैं। जब आप अपने कर्मचारियों को “पीपल एक्सपीरियंस हेड” जैसे टाइटल्स से बुलाते हैं, लेकिन उनके अनुभव को बेहतर बनाने की बजाय नौकरी छीन लेते हैं, तो यह दिखावा ही लगता है। यह सवाल उठता है कि क्या कॉरपोरेट जगत में इंसानियत की जगह अब सिर्फ मुनाफा और तकनीक ही बची है?
भविष्य का सवाल: नौकरियां बचेंगी या खत्म होंगी?
यह पूरा मामला हमें एक बड़े सवाल की ओर ले जाता है—AI और तकनीक का भविष्य क्या है? एक तरफ यह सच है कि AI ने कई कामों को आसान बनाया है। ऑनलाइन शॉपिंग से लेकर डिलीवरी तक, अमेजन का हर कदम तकनीक से चमक रहा है। लेकिन दूसरी तरफ, यह भी सच है कि हर नई मशीन एक इंसान की जगह ले रही है। अगर यही रफ्तार रही, तो आने वाले सालों में कितने लोग अपनी नौकरी गंवा देंगे?
चड्ढा जैसे लोग इस बात की वकालत कर रहे हैं कि तकनीक का इस्तेमाल समझदारी से हो। उनका कहना है कि इनोवेशन का मतलब सिर्फ मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि समाज को बेहतर बनाना भी होना चाहिए। लेकिन क्या कंपनियां इस बात को सुनेंगी? या फिर यह सिर्फ एक सपना बनकर रह जाएगा?
आप क्या सोचते है
अमेजन की छंटनी और AI का बढ़ता दबदबा एक ऐसा मुद्दा है जो हर किसी को प्रभावित करता है। क्या आपको लगता है कि तकनीक को लोगों की कीमत पर आगे बढ़ना चाहिए? या फिर चड्ढा की बात सही है कि “सर्बत दा भला” ही असली मकसद होना चाहिए? अपनी राय हमें जरूर बताएं।
फिलहाल, यह साफ है कि अमेजन और दूसरी बड़ी कंपनियां अपने रास्ते पर चल रही हैं। लेकिन इस रास्ते का अंजाम क्या होगा—खुशहाली या बेरोजगारी—यह वक्त ही बताएगा। तो चलिए, इस बहस को जारी रखते हैं और देखते हैं कि आगे क्या होता है!
